A Simple Key For hanuman chalisa Unveiled
A Simple Key For hanuman chalisa Unveiled
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दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने प्राचीन हनुमान मंदिर में पूजा किया
व्याख्या – श्री हनुमान जी परब्रह्म राम की क्रिया शक्ति हैं। अतः उसी शक्ति के द्वारा उन्होंने भयंकर रूप धारण करके असुरों का संहार किया। भगवान् श्री राम के कार्य में लेश मात्र भी अपूर्णता श्री हनुमान जी के लिये सहनीय नहीं थी तभी तो ‘राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम‘ का भाव अपने हृदय में सतत सँजोये हुए वे प्रभु श्री राम के कार्य सँवारने में सदा क्रिया शील रहते थे।
Hanuman, in conjunction with other figures from the Ramayana, are a significant source of plays and dance theatre repertoire at Odalan celebrations as well as other festivals in Bali.[139]
is, without the need of question, the most well-liked Hindu devotional hymn and Just about the most potent prayers and meditations of humanity. It can be broadly believed that chanting the Chalisa invokes Hanuman’s divine intervention amidst grave complications and problems.
भावार्थ – श्री सनक, सनातन, सनन्दन, सनत्कुमार आदि मुनिगण, ब्रह्मा आदि देवगण, नारद, सरस्वती, शेषनाग, यमराज, more info कुबेर तथा समस्त दिक्पाल भी जब आपका यश कहने में असमर्थ हैं तो फिर (सांसारिक) विद्वान् तथा कवि उसे कैसे कह सकते हैं? अर्थात् आपका यश अवर्णनीय है।
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श्रीरघुबीर हरषि उर लाये ॥११॥ रघुपति कीह्नी बहुत बड़ाई ।
श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बिकट रूप धरि लङ्क जरावा ॥९॥ भीम रूप धरि असुर सँहारे ।
The Peshwa period rulers in 18th century metropolis of Pune supplied endowments to more Hanuman temples than to temples of other deities which include Shiva, Ganesh or Vitthal. Even in current time you can find a lot more Hanuman temples in the city as well as the district than of other deities.[118]
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते ॥१५॥ तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना ।
.. और यही कारण है निराला जी तुलसीदास को कालिदास, व्यास, वाल्मीकि, होमर, गेटे और शेक्सपियर के समकक्ष रखकर उनके महत्त्व का आकलन करते हैं।
“Placing the ring of Lord Rama inside your mouth, you jumped and flew above the Ocean to Lanka, there is absolutely no surprise in that.”
व्याख्या – श्री हनुमान चालीसा में श्री हनुमान जी की स्तुति करने के बाद इस चौपाई में श्री तुलसीदास जी ने उनसे अन्तिम वरदान माँग लिया है कि हे हनुमान जी! आप मेरे हृदय में सदैव निवास करें।